बिहार बिजली दर: अगर बिहार में तेल और कोयले की कीमत बढ़ती या घटती है तो बिहार की बिजली वितरण कंपनियां अपनी मर्जी से बिजली दरें घटा या बढ़ा सकती हैं. बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने 16 दिसंबर को साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को यह अधिकार दे दिया है. कंपनियों को रेट बढ़ाने और घटाने का फॉर्मूला भी दिया गया है. इस फॉर्मूले के तहत वितरण कंपनियों को दरें बढ़ानी या घटानी होंगी.
कंपनी को बिजली बिल में बढ़ी या घटी दरों का जिक्र करना होगा.
आपको बता दें कि बिजली कंपनी हर महीने तेल और कोयले की कीमतों की समीक्षा करेगी. उसी के आधार पर वह रेट बढ़ाने या घटाने का फैसला करेगी। जिस माह उपभोक्ताओं से अधिक या कम बिल लिया जाएगा, उस माह के बिजली बिल में कंपनी को बढ़ी या घटी दर का उल्लेख करना होगा। यदि उल्लेख नहीं किया गया तो आयोग द्वारा बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है।
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कंपनी को हर साल एक प्रस्ताव जमा करना होगा
बिहार विद्युत विनियामक आयोग हर साल नवंबर महीने में राज्य की दोनों बिजली कंपनियों से प्रस्ताव मांगता है. प्रस्ताव में कंपनियों को पिछले साल की ऑडिट रिपोर्ट, मौजूदा साल के खर्च और आय का लेखा-जोखा और अगले साल के खर्च की रिपोर्ट जमा करनी होगी. आम लोगों की राय सुनने और फिर बिजली कंपनियों से मिले अलग-अलग प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के बाद आयोग बिजली दर पर अपना फैसला देता है. यह फैसला अगले एक साल तक लागू रहेगा.
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