फिल्म का परिचय
कंगुवा एक तमिल भाषा की फैंटेसी एक्शन फिल्म है । इसे इस साल का सबसे बड़ी और सबसे महंगी फ़िल्म मानी जा रही है जिनका अनुमानित लागत करीब 350 करोड़ रुपये आंकी जा रही है । ऐसा माना जा रहा है कि ये पुष्पा ,सिंघम जैसी फिल्मों से बड़ी और मंहगी फ़िल्म मानी जा रही है । कंगूवा के ट्रेलर को दर्शकों का जबरदस्त समर्थन मिला था और दर्शकों को बेसब्री से इस फ़िल्म के रिलीज होने का इंतज़ार था । आखिरकार आज दिनांक 14.11.2024 को यह फ़िल्म सिनेमाघरों में तमिल ,हिंदी ,अंग्रेजी ,मलयालम तथा कन्नड़ भाषा मे रिलीज किया गया ।
कंगूवा का निर्देशन शिवा द्वारा किया गया है जिसका पूरा नाम शिवकुमार जयकुमार है । इन्हें पेशेवर रूप से मनोनिम शिवा या शिरूथई शिवा के नाम से जाना जाता है । ये निर्देशक के अलावा पटकथा लेखक तथा गीतकार भी हैं जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में कार्य करते हैं। पूर्व में इन्होंने वीरम, विश्वम ,वेवेगम तथा अन्नात्थे जैसे तमिल फिल्मों का निर्देशन किया है । इस फ़िल्म का निर्माण के.ई. ज्ञानवेल राजा, वी. वामसी कृष्ण रेड्डी और प्रमोद उप्पलपति ने स्टूडियो ग्रीन और यूवी क्रिएशंस के बैनर तले किया है | इस फ़िल्म में दक्षिण के सुपरस्टार सूर्या ने मुख्य किरदार कंगूवा तथा फ्राँसिस का किरदार निभाया है । इसमें बॉबी देओल और दिशा पटानी ने भी अपनी भूमिका निभाई हैं, ये इन दोनो की पहली तमिल फिल्म है , फ़िल्म में बॉबी देवोल विलेन उधिरण के किरदार में है । साथ ही नटराजन सुब्रमण्यम, जगपति बाबू, योगी बाबू, रेडिन किंग्सले, कोवई सरला, आनंदराज, रवि राघवेंद्र, के.एस. रविकुमार और बी.एस. अविनाश भी अपनी अपनी भूमिका निभाई है ।
कहानी का संक्षिप्त विवरण :
इस फ़िल्म की कहानी दो कालखण्डों 1070 ईसवी तथा 2024 ईस्वी की है फ़िल्म की कहानी दोनो कालखण्डों को जोड़ती है। 1070 में फ़िल्म के हीरो सूर्या (कंगूवा) एक कबीला का राजकुमार रहता है जो अपने दुश्मन के पुत्र पूर्वा का जान बचता है ,ऐसा वे पूर्वा की माँ को दी गयी वचन को निभाने के लिए करता है। वर्तमान समय मे सूर्या (फ्राँसिस) एक बाउंटी हंटर है जो अपने दोस्त कोल्ट (योगी बाबू) के साथ मिलकर पुलिस से पैसे लेकर अपराधियों को पकड़ने का काम करता है । फ्रांसिस की पुरानी प्रेमिका एंजिला(दिशा पटानी भी इसी धंधे मे है ।
एक दिन फ्रांसिस की मुलाकात एक जेटा नाम के लड़के से होती है जिसके पीछे रशियन माफिया लगा रहता है । जेटा दिव्य शक्ति से लैश रहता है। फ्रांसिस जेटा को बचाने के लिए अपना जान दांव पर लगा देता है। फ्रांसिस और कंगूवा कितना कामयाब हो पाते हैं ? जेटा को फ्रांसिस क्यों बचना चाहता है ? 1070 की कंगूवा तथा 2024 की फ्राँसिस की कहानी एक दूसरे से कैसे संबंधित है ? ये सब जानने के लिए सिनेमाघर जाना होगा ।
कहानी गति और रचना संतुलित है । फ़िल्म में नए और पुराने जमाने की कहानी अच्छे ढंग से आरंभ की जाती है किंतु इंटरवल से पहले ही कहानी उलझने लगती है जो इंटरवल के बाद काफी उलझ जाती है । हालांकि क्लाइमेक्स में सरप्राइज डालकर कहानी को सुलझाने का प्रयास किया गया है जिसमे निर्देशक सफल होते नही दिख रहे हैं । फ़िल्म के अंत मे कंगूवा 2 के लिए संभावना दिखाई गई है ।
अभिनय
अभिनय के मामले में दक्षिण के सुपरस्टार सूर्या अपने दोनों किरदारों (काबिले का युवराज कंगूवा तथा बाउंटी हंटर फ़्रांसिस) में अच्छा से जान डालने का प्रयास किया जिसमें वे सफल होते दिख रहे हैं । उन्होंने अपने एक प्राचीन योद्धा कंगूवा तथा आधुनिक युवक फ्राँसिस दोनो किरदारों को बखूबी निभाया है । विलेन के रूप में बॉलीवुड अभिनेता बॉबी देओल खतरनाक विलेन उधिरण के किरदार में उतने प्रभावशाली नही दिखते । यह कहना अनुचित नही होगा कि खूंखार बिलेन के किरदार में बॉबी देओल के माध्यम से फ़िल्म डायरेक्टर शिवा दर्शकों को दहला पाने में असफल रहे है । फ़िल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी सिर्फ चुनिंदा दृश्यों में ही नजर आते हैं । अभिनेता कार्तिकेय कैमियो में अच्छा जमते हुए नजर आते हैं । फ़िल्म के अंत मे इसके सीक्वल की घोषणा की गई है।
निर्देशन और लेखन
फ़िल्म के डायरेक्टर शिवा ने फ़िल्म “कंगूवा “ के जरिये दक्षिण के सुपरहिट फिल्मों बाहुबली और सालार जैसे फिल्मो को चुनौती देने की पूरी कोशिश किया है । इसके लिए इन्होंने एक तरफ साउथ सुपरस्टार सूर्या को लीड रोल में लिया है तो दूसरी तरफ देश भर में पॉपुलर बनाने के लिए विलेन के रूप में बॉलीवुड अभिनेता बॉबी देओल तथा अभिनेत्री में दिशा पटानी को लिया है इस तरह इन्होंने इस फ़िल्म को बनाने के लिए भारी भरकम बजट 350 करोड़ रुपये निर्माताओं से खर्च कराया है । निर्देशन के साथ साथ स्टोरी तथा स्क्रीनप्ले लिखने की जिम्मेवारी खुद निभाने वाले शिवा उर्फ शिवकुमार जयकुमार पटकथा तथा स्क्रीनप्ले में पिछड़ते नजर आ रहे हैं । अगर वे फ़िल्म के दूसरे पक्षों की तरह फ़िल्म की कहानी तथा स्क्रीनप्ले पर थोड़ा मेहनत करते तो कंगूवा एक शानदार मूवी हो सकता था ।
फ़िल्म में नए और पुराने जमाने की कहानी अच्छे ढंग से आरंभ की जाती है किंतु इंटरवल से पहले ही कहानी उलझने लगती है जो इंटरवल के बाद काफी उलझ जाती है । हालांकि क्लाइमेक्स में सरप्राइज डालकर कहानी को सुलझाने का प्रयास किया गया है जिसमे निर्देशक सफल होते नही दिख रहे हैं । फ़िल्म का स्क्रीनप्ले कमजोर नजर आता है जिसके कारण ढाई घंटा तक जबरदस्ती खींची गई ये फ़िल्म टुकड़ों में दर्शकों का मनोरंजन करते नजर आता है । कुछ बचकाना सबालों का जबाब दर्शक सिनेमाघरों से बाहर आने पर पूछते नजर आते हैं । अगर जबर्दस्ती खींचीं गयी इस फ़िल्म की लंबाई को 20-25 मिनट कम किया जाता तो फ़िल्म और प्रभावशाली नजर आता ।
सिनेमैटोग्राफी और संगीत
फ़िल्म का सनेमाटोग्राफी तथा एक्शन दृश्य कमाल के हैं जो फ़िल्म बाहुबली की याद दिलाती है । फ़िल्म का हर एक्शन सीन तथा बैकग्राउंड का अपना अलग स्टाइल है । उदाहरण के लिए एक दृश्य में सूर्या जंगल मे शक्तिशाली सेना से अकेले लड़ता है और इसके लिये वे स्थानीय क्षेत्र और जानवरों के बारे में अपनी जानकारी का सहारा लिया है। प्रत्येक दृश्य की तैयारी शानदार तरीके से किया गया है तथा एक्शन सीन को बेहतर तरीके से किया गया है । सीन की क्रिएटिविटी काबिले तारीफ है | फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी शानदार लगता है और दृश्य के हिसाब से फिट बैठता है । फ़िल्म का गाना फायर सांग कमाल का लगता है और इसकी कोरियग्राफी भी शानदार है लेकिन हिंदी वर्जन का गाना अपेक्षाकृत कमजोर नजर आता है ।
तकनीकी पहलू
फ़िल्म 2D तथा 3D दोनो वर्जन में रिलीज किया गया है । फ़िल्म के दृश्यों को आकर्षक तथा भव्य बनाने के लिए VFX का अच्छा इस्तेमाल किया गया है जिसके कारण फ़िल्म का दृश्य शानदार दिखते हैं । फ़िल्म के विजुअल इफ़ेक्ट हरिहर सुथन के नेतृत्व में बनाया गया है साथ ही दृश्य को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए कंप्यूटर जनरेटेड इमेजिनरी का इस्तेमाल किया गया है । फ़िल्म के डबिंग वर्जन में डबिंग साउंड को बेहतर बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया गया है । कुल मिलाकर कहा जाय तो आधुनिक तकनीक का पुर्ण इस्तेमाल किया गया है।
फिल्म की ताकत और कमजोरियाँ
सकारात्मक पहलू: सूर्या का अभिनय, एक्शन सीन ,विजुअल इफेक्ट्स , परिधान ,सनेमाटोग्राफी, संगीत तथा भव्यता |नकारात्मक पहलू: स्क्रीनप्ले, बॉबी देओल का अभिनय ,कहानी का खिंचाव, कमजोर संवाद या निर्देशन में कमी ।
निष्कर्ष और रेटिंग
कुल मिलाकर यदि कहा जाय तो जो सुपरस्टार सूर्या तथा बॉबी देओल का फैन हैं या फिर अच्छे दृश्यों के देखने की शौकीन हैं तो आप टिकट लेकर सिनेमाघरों का रुख कर सकते है लेकिन अगर आप बाहुबली जैसे मूवी का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको निराशा हाथ लग सकती है ।
रेटिंग: 2.5/5।