सुकुमार के निर्देशन में बनी फिल्म पुष्पा: द रूल दर्शकों को फिर से एक रोमांचक और जबरदस्त अनुभव प्रदान करती है। पुष्पा: द राइज़ के पहले भाग की सफलता के बाद, इस फिल्म से उम्मीदें आसमान छू रही थीं, और फिल्म ने इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की है।
कहानी
फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पहला भाग समाप्त हुआ था। पुष्पा (अल्लू अर्जुन) अब रेड सैंडलवुड माफिया का अघोषित राजा बन चुका है। लेकिन उसकी राह में चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। इस बार कहानी में व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों संघर्षों को विस्तार दिया गया है। पुष्पा का सामना न केवल नए दुश्मनों से होता है, बल्कि उसकी आंतरिक कमजोरियों और पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी होता है। पुलिस अधिकारी भंवर सिंह शेखावत (फहाद फासिल) का किरदार इस बार और भी ज्यादा आक्रामक और रणनीतिक रूप में उभरता है।
फिल्म की पटकथा इतनी प्रभावशाली है कि दर्शक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करने लगते हैं। हर सीन कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करता है, और रोमांचक क्लाइमेक्स दर्शकों को कुर्सियों से बांधे रखता है।
अभिनय
अल्लू अर्जुन ने पुष्पा के किरदार को पहले से भी अधिक दमदार और गहराई से निभाया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी, और भावनात्मक पहलू इस बार और भी प्रभावशाली हैं। उनके किरदार की जिद, धैर्य और परिवार के प्रति समर्पण को दर्शाने में वह पूरी तरह सफल हुए हैं। क्रिटिक्स के मुताबिक अल्लू अर्जुन का किरदार पिछ्ली बार से दमदार है और उसे एक और राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की संभावना जताई जा रही है ।
रश्मिका मंदाना ने श्रीवल्ली के किरदार में इस बार ज्यादा स्क्रीन टाइम हासिल किया है। उनकी भूमिका केवल एक सहायक किरदार तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनकी कहानी को भी नए आयाम दिए गए हैं।
फहाद फासिल ने भंवर सिंह शेखावत के किरदार में गहराई जोड़ दी है। उनकी शातिर चालें और पुष्पा के साथ उनकी टकराव वाली केमिस्ट्री फिल्म का मुख्य आकर्षण है।
जगपति बाबू और प्रकाश राज जैसे नए कलाकारों ने फ़िल्म को नई ऊंचाई दी है ।
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी
सुकुमार ने फिर साबित कर दिया है कि वह कहानी कहने की कला में माहिर हैं। उनकी दिशा में हर फ्रेम बारीकी से सोचा-समझा लगता है। फिल्म का हर दृश्य बड़े पर्दे के लिए तैयार किया गया है। मिरोस्लाव कुबा ब्रोजेक की सिनेमैटोग्राफी फिल्म को एक नया आयाम देती है। जंगलों के सीन और एक्शन सीक्वेंस बेहद वास्तविक और प्रभावशाली हैं। “जठरा” सीक्वेंस और क्लाइमेक्स के सीन बेहद प्रभावशाली है । फ़िल्म का लम्बी 3 घण्टे 20 मिनट का है लेकिन यह तेज रफ्तार और प्रभावशाली कहानी के कारण दर्शकों को बांध के रखती है ।
फ़िल्म का संगीत
फ़िल्म का संगीत बेहद प्रभावित करती है। देवी श्री प्रसाद का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की जान है। फिल्म के गाने पहले से ही सुपरहिट हो चुके हैं, और बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी में जान डाल देता है। खासतौर पर एक्शन सीक्वेंस में संगीत दर्शकों को उत्साह से भर देता है।
बॉक्स ऑफिस उम्मीद
पुष्पा एक बड़े बजट की फ़िल्म है , यह लगभग 500 करोड़ की लागत से बनी फिल्म है । प्री रिलीज बुकिंग से फ़िल्म को 1000 करोड़ की कमाई की उम्मीद है । यह भारत की सबसे महंगी फिल्मो में से एक है और इसे 12500 सिनेमाघरों में रिलीज किया गया है जो इसे ऐतिहासिक रिलीज बनाता है ।
क्या अच्छा है?
1. अल्लू अर्जुन का दमदार प्रदर्शन
2. शानदार निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी
3. रोमांचक एक्शन सीक्वेंस और क्लाइमेक्स
4. फहाद फासिल का शानदार अभिनय
क्या बेहतर हो सकता था?
फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ी धीमी गति से शुरू होता है। कुछ दृश्यों में कहानी अनावश्यक रूप से खिंचती हुई लगती है। इसके अलावा, कुछ किरदारों को और गहराई दी जा सकती थी।
निष्कर्ष
पुष्पा 2: द रूल एक संपूर्ण एक्शन-ड्रामा है जो दर्शकों को भरपूर मनोरंजन प्रदान करती है। अल्लू अर्जुन के प्रशंसकों के लिए यह फिल्म किसी ट्रीट से कम नहीं है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा में बड़े स्तर पर बनी फिल्मों के मानकों को और ऊंचा उठाती है।
रेटिंग: 4.5/5
अगर आपको एक्शन, ड्रामा और इमोशन का मिश्रण पसंद है, तो यह फिल्म आपके लिए है। पुष्पा का “रूल” इस बार और भी धमाकेदार और यादगार है।